नारी
के सर पे जो
बाल है,
वही
मायाजाल है.
उसके
होठों का जो रस
है,
वही
सोमरस है.
उसके
सीने पे जो आम
है,
वही
चार धाम है.
उसके
नाभी के निचे जो
वन है,
वही
वृन्दावन है.
और उस वृन्दावन में
जो द्वार है,
वही
हरिद्वार है.
..
..
..
..
..
अब सोचते क्या हो,
जाओ
और पुण्य कमाओ.
- प.
पु. आसाराम बापू
No comments:
Post a Comment